Friday, April 10, 2009

एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते भाग १

ऑफिस का काम ख़त्म नहीं हुआ था | पर मन ही नहीं लग रहा था | छोडो कल करेंगे ... किसी भी बात में फोकस नहीं हो रहा था | कार के ऑन होते ही सी डी प्लेयर बज उठा | दिन का सबसे अच्छा वक़्त होता है बिना कुछ सोचे , बिना किसी शोर के, बस चुप चाप गाना सुनना , कोई भी ...

मर जावां मर जावां ...........तेरे इश्क पे.. मर जावां
भीगे भीगे सपनो का जैसे ख़त है
हाय.. गीली गीली चाहत की जैसे लत है ,
मर जावां मर जावां .........तेरे इश्क पे.. मर जावां

"आकांक्षा तुम न बिलकुल क्रेजी हो , कुछ भी बोलती हो , और ये नया स्टाइल क्या है , लफंगों जैसा... "टपका डालने का "... ओह माई गौड़ , तुम्हारा कुछ नहीं बन सकता ... " चादर समेटते हुए साधना ने कहा |
हॉस्टल में एक कमरे में तीन लड़कियां रहती थीं | तीनों के बिस्तर जैसे उनके मालिकों की गाथा सुनाती थी | साधना के बिस्तर पर हमेशा उसकी किताबें सोती थीं -बिखरी हुईं, चाहे परीक्षा हों या नहीं, ठीक उसी तरह जैसे चारु के बेड पर नेल पोलिश और मेक अप का सामान हरदम डेरा लगाए रहता था | जिस दिन ड्रेस के साथ मेचिंग इअर टोप्स या नेकलेस नहीं मिलता था उस दिन चारु का क्लास में दिल नहीं लगता था | आकांक्षा के तो कहने ही क्या थे | सबसे साफ़ सुथरा बेड उसी का होता था | हो भी क्यूँ नहीं , कभी इस्तेमाल हो तो मैला हो न !

"आइसा क्या, बोले तो राजा आइसा इच बोलता है तो भीडू अपुन भी ... क्या है न अपुन का स्टाइल है, क्या !" कोलर खीचते हुए आकांक्षा ने कहा |
"राजा तुम्हारा नया दोस्त है क्या?" चादर झाड़ के बिछाते हुए साधना ने पूछा |
"यू आर सो डम, एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते - "मैंने प्यार किया" पिक्चर का मारा हुआ है ये डैलोग... " बिस्तर पर पसरते हुए आकांक्षा ने कहा |
"क्यूँ नहीं हो सकते अक्कू ? जैसे तुम मेरी दोस्त हो , वैसे ही कोई लड़का भी तो मेरा दोस्त हो सकता है ना !" बिस्तर के किनारों पर चादर खोंचते हुए साधना बोली |
"ओ मैडम , तेरी शादी होने वाली है , अपने पति परमेश्वर को मत कहना की कोई लड़का मेरा "दोस्त" है वर्ना शादी से पहले ही तेरा तलाक हो जायेगा |" कानों में वाक्मेन देते हुए जवाब दिया गया |
"मुझे लगता है दोस्ती अपनी जगह है और हर रिश्ता अपनी जगह | रिश्ते बनाए जाते हैं पर दोस्त हम खुद चुनते हैं | जहाँ सोच मिलती है दोस्ती होना स्वाभाविक है , चाहे वो लड़का हो या लड़की..... नहीं क्या? "
"बोले तो.... तेरी बात झक्कास है बाप ! पर अखा वर्ल्ड में कोई ऐसा मर्द नहीं मिलेंगा जो किसी औरत को एक औरत के फॉर्म में नहीं देखेंगा .. वोले तो ... औरत में एक दोस्त देखने से पहले दोस्त में औरत को पहले देखेंगा ... अपना चल्लिंज है बॉस ...शर्त लगा के बोलता है बाप ... लड़का लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते .. " कुछ और कहने ही वाली थी की हॉल से किसी ने चिल्ला कर कहा - "आकांक्षा विसिटर फॉर यू !"

"पीईन्न्न्न्न्न्न्न" पीछे से किसी ने जोर से हार्न दिया तो ध्यान १०१ के फ्रीवे पर वापस आया |

सी डी अब भी गाना सुना रही थी |

सोचे, दिल के ऐसा काश हो ....... तुझको एक नज़र...... मेरी तलाश हो ,
हो जैसे ख्वाब है आँखों में बसे मेरी , ..........वैसे नींद पे सलवटे पड़े तेरी ........
भीगे भीगे अरमानो की ना हद है ...........
हाय.. गीली गीली ख्वाहिश भी तो बेहद है !!!!!!!
मर जावां ............मर जावां ...........तेरे इश्क पे............मर जावां |

गाडी सामने रोकी ही थी की आकांक्षा बाहर आ गयी | इतने सालों बाद भी ये बिलकुल वैसी ही है ...

"गाडी चलाती हो या बैलगाडी चलाती हो ? मेरी फ्लाईट मिस ना हो जाए | भागो ...." अपना सूटकेस गाडी के पीछे सीट पर फेंकते हुए आकांक्षा चिल्ला उठी | "और ये देवदास सी शक्ल क्यूँ बनायी है ? कौन मर गया ? मरा तो मर गया तुम इतना टेंसन क्यूँ ले रही हो ? " बिना कुछ सुने कहते जाना आकांक्षा की पुरानी आदत है|

"कुछ नहीं , साउथ वेस्ट की फ्लाईट है क्या ? कितने बजे की है | वापस कब आओगी ? पिक कर लूं तुम्हें ?" बात घुमाते हुए साधना गाडी घुमाने लगी|
"अबे , अभी गयी ही नहीं और आने की टेंशन ...तुम या तो गए कल में रहती हो या आने वाले में, आज में क्यूँ नहीं रहती हो? यू आर इम्पोसिबल ! " बहुत प्यार करती है आकांक्षा, पर कुछ लोगों के इज़हार का तरीका अलग होता है|

"अक्कू, विश्वास ने मुझे हर्ट किया | पता है.." शब्द ढूँढने में लग गयी साधना .............. " तुम सच कहती थी आकांक्षा - दोस्ती नहीं होती किसी भी आदमी-औरत में - सिर्फ एक तलाश होती है , पता नहीं क्या ढूंढते हैं एक दूसरे में | गलती मेरी ही होगी | शायद मेरे ही इशारे गलत होंगे | मुझे लगा की अच्छी अच्छी बातों से मैं किसी की डिप्रेसन दूर कर दूँगी | फिर कुछ ऐसा कहा उसने की मेरी बोलती बंद हो गयी ........
मेरा विश्वास टूट गया आकांक्षा आज मेरा विश्वास सचमुच टूट गया ............"

सी डी के गीत को बदलने की कोशिश कर रही थी साधना | और आकांक्षा अपने आई फ़ोन पर अपने ईमेल चेक किये जा रही थी |
"तुम्हें मुझ पर बहुत हंसी रही होगी ना | कितनी सिल्ली बातों पर ध्यान देती है | खुद तो परेशान होती है ही औरों को भी परेशान कर देती है | सॉरी यार , तुम अपना काम करो | "साधना हडबडा कर कह रही थी |
एक के बाद एक गीत बदल रही थी साधना, शायद मन नहीं बना पा रही थी की कौन सा गाना सही है |
किसी एक पर हाथ रुक गया ..
आकांक्षा ने आई फ़ोन एक तरफ रखा और कहा -"क्या हुआ डिंकी, इतनी सी बात पर इतना तूफ़ान क्यूँ उठा रही हो ? घंटों घंटों बात कर सकती हो पर किसी ने छू क्या लिया तो क्या दाग लग जायेगा तुम्हें .. दाग .. माय फ़ुट ? ये सती सावित्री का नाटक तो रहने ही दो | अच्छा बताओ, तुमने अपनी हर प्रॉब्लम उसके साथ शेयर की है की नहीं , यहाँ तक की मुझे लगता है की मुझे भी जो बातें नहीं बतायीं उसे बताई होंगी क्योंकि जितना तुमको मैं जानती हूँ, तुम्हारे पेट में कुछ बात तो रुकेगी नहीं .." हंसते हुए आकांक्षा कह गयी |
"हाँ , ये तो सच है, तभी तो लगा की हम अच्छे दोस्त हैं ... या शायद ..... थे ... की हम हर दुःख सुख में साथ थे | लगता था की कोई है जो समझता है | पर हर रिश्ते की एक सीमा होती है ना , एक मर्यादा होती है , है की नहीं ,हाँ ? बताओ तुम? हाँ ?" अपनी बात का समर्थन चाह रही थी साधना |
" ओ मेरी धन्नो रानी ! ये शरीर कुछ नहीं होता है | आज मरे तो लोग कल दो दिन कहेंगे | अगर तुम मन से किसी से जुड़े हो तो तन का मिलना कोई पाप नहीं होता |" आकांक्षा माडर्न है |
"ये लो मैं किस से पूछ बैठी | तुम मेरी बात कभी समझ ही नहीं पाओगी..... तुम बिलकुल मेरे जैसी नहीं हो ... या फिर मैं तुम्हारे जैसी नहीं हूँ.. पता नहीं क्यूँ या फिर कैसे हम आज तक निभा पा रहे हैं ? अब देखो , तुम भी तो मेरी दोस्त हो, तुमने तो कभी नहीं कहा की तुम मुझे .... वैल.. जाने दो ... | हर चीज़ कायदे में ही अच्छी लगती है | और फिर .." अपनी बात को जस्टिफाई करने की जैसे सोच ली हो साधना ने | ड्राप ऑफ़ ज़ोन आ चुका था |
"तुम अगर ज़रा सी भी सुन्दर होती तो मेरे मन में ये बात आ सकती थी | क्या करें ..... यू आर नॉट सेक्सी एनफ फॉर मी! अब पता नहीं उसे क्या दिखा | एक काम करो, उसे मेरा फोन नंबर देना | वैसे वो इतना बुरा भी नहीं है | जब तुम उसको मेरे साथ देखोगी और जलोगी तब भागी भागी आओगी ....हा हा हा हा हा " आकांक्षा हंसती है, तो बहुत जोर से हंसती है |
"ओफ्फो अब बस करो , जाओ तुम्हारी फ्लाईट न मिस हो जाये , हेप्पी जर्नी " उसे विदा अब के साधना एयर पोर्ट पर ही कुछ देर रुक गयी |

देख रही थी साधना लोगों को अपने प्रिय जनों को छोड़ते हुए .. कोई गले मिल रही थी तो कोई आंसू बहा रहा था | कितना दुःख होता है न किसी अपने को विदा करते हुए ... सोच रही थी ...काश मुझे भी कोई रुला दे | रोना अच्छा होता है , दिल हल्का हो जाता है ...दिल इतना भारी लग रहा था पर रोना ही नही आ रहा था | सी डी पर गाना अब भी बज रहा था |
देखो तो , बिना शिकायत किये ये मशीन बजता ही रहता है , ये मशीन बनना कितना अच्छा होता है | बस जो करना है, सो करना है | कोई आव नहीं , भाव नहीं , ताव नहीं, चाव नहीं ,तनाव नहीं , ... कुछ भी तो नहीं होता है ... हाँ , मशीन बनना सबसे फायदेमंद होता है
... चलो मशीन बन जाते हैं |