कई गलत जगहों पर घूम फिर कर , ढूंढते ढूंढते मैं रेडियो स्टेशन पर पहुँच गयी | तीन बड़े बड़े लम्बे लम्बे टावर खड़े थे सामने जिन पर लाल बत्ती टिम-टिम कर रही थी |
मेरा दिल बहुत बुरी तरह से धड़क रहा था |बड़े दरवाज़े से अन्दर गयी तो वहां कोई नहीं था , एक अँगरेज़ के सिवा |
मैंने अपना नाम और मकसद बताया तो उसने जवाब दिया की अभी उस शो के लोग आये नहीं हैं |
टेबल पर तीन बड़े बड़े मायिक लगे थे | मैं एक मायिक के पास पड़े कुर्सी पर बैठ गयी |
"वो मेरी कुर्सी है... वहां मैं बैठता हूँ..." एक आवाज़ सुन कर मैं सिहर गयी |
"हाई ! मैं श्लोक हूँ और ये मेरी मैडम- ज्योति " अपना मशीन लगाते हुए श्लोक कहे जा रहे थे |
"कितना टाईम बाक़ी है ?" श्लोक ने उस अँगरेज़ से पूछा जो मेन मशीन चला रहा था |
" टेन सेकंड्स .." और फिर उलटी गिनती के ख़तम होते ही श्लोक ने अपने लैपटॉप से रेडियो का फीड स्टार्ट कर दिया |
"अरे वाह ! ये तो कमाल है " मैंने सोचा |
प्रोग्राम हिंदी गीतों का था | श्लोक और मुझे बारी बारी उन गीतों से लोगों का परिचय कराना था |
कभी शेरों का सहारा था, कभी चुटकुलों का तो कभी महज़ कुछ अच्छी सी बात बोल कर उन गीतों को हम शुरू कर देते थे |
प्रोग्राम के एक हिस्से में एक डॉक्टर भी आयीं थीं | मेरी तरह उनका भी पहला दिन था रेडियो पर | हम दोनों ही बहुत एक्साईटेड थे |कभी कभी लोग कॉल भी कर रहे थे अगर उन्हें कोई फरमाईश देनी हो या डॉक्टर से कोई सवाल हो या कोई भी बात करनी हो |
प्रोग्राम कब ख़तम हो गया, पता ही नहीं चला |दो घंटे जैसे मिनटों में उड़ गए |
शो के बीच में किसी ने कॉल कर के कहा की मेरी आवाज़ उन्हें बहुत अच्छी लगी | मुझे सुनकर बड़ी ख़ुशी हुई|
शुक्रिया कह कर जब मैं अपने काम को ड्राईव कर थी तो लग रहा था कितना अच्छा होता जो मुझे यहीं काम मिल जाता | कम पैसे मिलें तब भी में यहाँ काम करने को तैयार हूँ | कितनी ख़ुशी होगी न अपने पसंदीदा काम में ही काम करने में| है न?
लेकिन यहाँ कोई ऐसा काम नहीं है |
तो कहानी का सार यही है की अपनी रोज़ी रोटी इसको आप नहीं बना सकते हैं |
लेकिन हाँ अगर रोज़ी रोटी का जुगाड़ आप कर चुके हैं तो उसके साथ आप इसे कर सकते हैं, शौकिया तौर पर |
पर मैं तो इसी में खुश थी मुझे एक मौक़ा मिला इस बढ़ते हुए सैलाब का एक हिस्सा बनने का|
अब देखो किस्मत क्या खेल दिखाए .....
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Wednesday, March 10, 2010
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3 comments:
nice
बधाई..हो सकता है कभी यही रोजगार का साधन बन जाये, शुभकामनाएँ.
Archana ji you are so talented you have grate sence of humer you did a wrong digrees phd in hindi through ignu. make a team of poets pl do not expose your weekness,this is the princeple of show busyness.
R.L.Pandey Atlanta
rl.pandey@rediffmail.com
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