Tuesday, September 20, 2011

आओ दिखलाती हूँ तुमको सियाटेल की एक रंगी शाम ....

शहर में बारिश और दिमाग में खारिश चल रही थी ... जब सुबह सवेरे मेरी फ्लाईट पहुंची सियाटेल के रोमांटिक शहर में .... अब आप पूछेंगे की भाई रोमांटिक तो बन्दे होते हैं ... कोई शहर रोमांटिक कैसे हो सकता है ? अरे जनाब अगर आप सियाटेल के मौसम को तनिक देख लेंगे तो जान पाएंगे की कोई शहर आशिकाना कैसे बनता है .... टेम्पेरचर में कमी, हवा में नमी, सांसें थमी - थमी ... यू डमी....आपको नहीं ...खुद को कह रही हूँ .. क्योंकि मैं तो झिलमिल के बारे में कहने जा रही थी और शहर पर ही अटक गयी..

हाँ ! तो बात यूं हुई की सियाटेल की भव्य नगरी में एक मौका मिला हमें कविता पाठ करने का | कार्यक्रम का नाम - " झिलमिल " | संस्था का नाम - प्रतिध्वनि ! नाम से ही एक पोसिटीव वायिब मिलता है ... जिसने भी रखा है, बहुत चुन के नाम रखा है .... वर्ना आज कल लोगों के नामकरण के तो क्या कहने - "खिचड़ी" , "कन्फ्युशन " पता नहीं क्या क्या |

पर सच मानिए , सियाटेल में बसे भारतीयों का एक अलग ही सऊर है.... एक क्लास है |
वे जानते हैं आदर कैसे दिया जाता है, कैसे किसी को अपना बनाया जाता है..

तो चलिए, चलते हैं ईस्ट बहाई सेण्टर जहाँ पर सितम्बर १७ को ओयोजित हुआ था - "झिलमिल" सियाटेल की सांस्कृतिक संस्था "प्रतिध्वनि" द्वारा |
प्रतिध्वनि के कर्ता धर्ता है- अगत्स्य कोहली जी, जो प्रसिद्द लेखक और कहानी कार नरेन्द्र कोहली जी की के सुपुत्र हैं |
इनका साथ देते हैं - मौसम जी , जिन्होंने संगीत के क्षेत्र में बहुत ख्याति हासिल की है | यद्यपि ये संगीत में पारंगत हैं , किन्तु साहित्य और काव्य जगत में भी इनकी बहुत रूचि है |
क्यों ना हो, इन्हें विरासत में जो मिली है ... मौसम जी के माता श्री और नानी जी हिंदी साहित्य के जाने माने कीर्ति स्तम्भ जो हैं |
प्रतिध्वनि के और भी बहुत सारे कार्य कर्ता हैं जिनसे मेरी मुलाक़ात हुई उस दिन...

तो भाई , हम पहुँच गए ठीक पांच बजे बहाई सेण्टर, अभी लोग आ ही रहे थे | स्वयं सेवी गन बड़े तल्लीन भाव से हॉल को सजाने में लगे थे |

अपने मोहल्ले को छोड़ अन्य जगह पर कविता बाज़ी करने में थोडा डर तो लगता है.... मुझे भी लगा |
पर अभिनव शुक्ल जी की ज़िम्मेदार और काव्यमई मंच सञ्चालन ने मुझे बहुत हिम्मत दी और हौसला बढाया |
अभिनव जी अमरीका में बसे एक नामी कवि हैं जिन्होंने भारत और अमरीका में आयोजित कई कवि सम्मेलनों में सम्मान पाया है |
ये मेरा गौरव है की मुझे उनके जैसे गुणी कवि के साथ एक ही मंच पर काव्य पाठ करने का मौका मिला |
और हमारी तिकड़ी के तीसरे आदरणीय कवि थे - श्री आचार्य प्रसाद द्विवेदी जी जो आये थे कनाडा के वेंकुवर से |

कार्य क्रम का आरम्भ किया गया माँ सरस्वती की पूजा के साथ और प्रस्तुत किया शहाना ने सरस्वती वंदना.. गीत अति मधुर और अच्छा था |
तत्पश्चात सेयाटेल के उभरते कलाकारों ने अपनी कवितायेँ प्रस्तुत की |
जहाँ कृष्णन ने अपनी कविता में समझाया की भ्रष्टाचार का मूल क्या है, वहीँ निहित ने बताया की दाढ़ी रखने में भूल क्या है |
अंकुर ने तो हंसा हंसा के लोट पोट कर दिया अपनी कविता के द्वारा |
कभी कभी लगता है कितनी प्रतिभा छुपी हुई है हमारे हर भारतीय में... ज़र्रा ज़र्रा एक आग लिए बैठी है..

फिर आरम्भ हुआ एक ऐसा दौर जो शुरू तो हुआ हास्य के साथ लेकिन आरम्भ से अंत तक आये हुए मेहमानों ने भावों के कई झूले- झूले |
कभी किसी के सपेरे जैसी झुल्फों से उलझते तो कभी "अंग प्रदर्शन" के मुद्दे पर ठहाके लगते |
कभी भारत-अमरीका की धारा बहती तो कभी जीवन की अनकही बातें कोई कविता चुपके से कह देती |

पता ही नहीं चला हँसते हँसाते कब मध्यांतर का समय हो गया | और हम चल दिए कुछ पेट पूजा करने के लिए|
बहुत से लोगों से मिलना हुआ | बहुत अच्छा लगा | कुछ मौज - कुछ मस्ती - बड़ा यंग सा क्राउड था |

मध्यांतर के बाद तीन कवयात्रियों को आमंत्रित किया गया कविता पाठ करने हेतु - ज्योति ने बताया की भारत से आकर अमरीका में वह क्या मिस करती है , अनु जी एक बहुत ही उम्दा कविता का पाठ किया जो जीवन की सत्यता बहुत सरल शब्दों में दर्शाता है | शांति जी ने भी एक मधुर कविता का पाठ किया |

फिर मुझे अपनी कविता कहने का मौका मिला | ईश्वर कृपा से लोगों ने बहुत प्यार दिया और मुझे ख़ुशी है की मैंने कुछ पल सब लोगों को थोड़ी सी ख़ुशी दी |
आचार्य द्विवेदी जी ने अपने मधुर गीतों एवं ग़ज़लों से सबका मन मोह लिया |
अंतिम में कविता कहने आये अभिनव जी - कहते हैं ना- He laughs best who laughs last!
अभिनव जी की कविता शैली, विषय चुनाव एवं परिमार्जित भाषा इस बात की गवाही है की शुद्ध एवं निर्मल आनंद हमेशा से ही कविता के नाम पर हो रहे स्टैंड अप कॉमेडी से जीतता आया है और हमेशा ही जीतेगा | अपनी हर बात को अभिनव ने कविता द्वारा कहा और अंतिम में उनकी कविता "सपना" में उन्होंने बताया अपने सपने के बारे में जिसमे उन्होंने एक ख्वाब देखा है की एक दिन भारत एक ऐसा सुपर पावर बन जायेगा की सारी दुनिया के लोग - अमरीका भी - वहां जाने के लिए उत्सुक होंगे | अपने इस कविता के लिए अभिनव ने सभा में उपस्थित सभी लोगों से "standing Ovation" पाया - हमें आप पर बहुत गर्व है अभिनव जी ! और गर्व है दीप्ति जी पर भी जो एक आदर्श पत्नी की तरह आप का साथ देतीं हैं और आप को उत्साहित करती हैं की आप अच्छा लिखें और आगे बढ़ें |

मित्रों, कई जगहों पर सम्मेलों में भाग लिया पर जाने क्यूँ सियाटेल की इस यात्रा से मन में अपार आनंद मिला है |
घर की तुलसी को ज्यूँ किसी ने आदर से , प्यार से कहा हो -

तुम पास हो, तभी तो ख़ास हो..
दुनिया में हैं बड़े फनकार मगर,
तुम एक अपने का एहसास हो ..


अपने सभी नए मित्रों के "नाम" एक उपहार -


अंकुर सी आस लिए, ज्योति की प्यास लिए,
निहित काल अगत्स्य का दान हुआ था..
मौसम भी था उदार, साहित्य का खुला द्वार,
घर की तुलसी का जहाँ मान हुआ था...

अद्भुत अभिनव प्रयास, अनुपम ज्यूँ कृष्ण रास,
भावों- प्रतिभाओं का ज्ञान हुआ था ..
झिलमिल हुई काव्य धनी, गूँज उठी प्रतिध्वनि ,
हिंद- भारती, तेरा कल्याण हुआ था !

6 comments:

Santosh said...

अंकुर सी आस लिए, ज्योति की प्यास लिए,
निहित काल अगत्स्य का दान हुआ था..
मौसम भी था उदार, साहित्य का खुला द्वार,
घर की तुलसी का जहाँ मान हुआ था...

अद्भुत अभिनव प्रयास, अनुपम ज्यूँ कृष्ण रास,
भावों- प्रतिभाओं का ज्ञान हुआ था ..
झिलमिल हुई काव्य धनी, गूँज उठी प्रतिध्वनि ,
हिंद- भारती, तेरा कल्याण हुआ था !

Bhai bahut achhachha hai. aap geet bhi likhaa karen, aur likhatein hain agar to padhaa karen. kabhi fursat mein aapki kuchh aur rachnaayen padhungaa. Seattle aane aur hame sarahane kaa shukriya. Jhilmil ek yaadgaar sham rahegi...

Udan Tashtari said...

अभिनव का तो क्या कहना....मंच के साथ साथ दिल लूट लेता है...अच्छा लगा सियाटेल यात्रा और सम्मेलन के बारे में जान कर.

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत अच्छा लगा पढ़ कर।
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कल 27/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति पर
बहुत बहुत बधाई ||

kanu..... said...

aapki siyatel ki yatra ka maja humne bhi le liya.bahut acchi post

Unknown said...

अद्भुत अभिनव प्रयास, अनुपम ज्यूँ कृष्ण रास,
भावों- प्रतिभाओं का ज्ञान हुआ था ..
झिलमिल हुई काव्य धनी, गूँज उठी प्रतिध्वनि ,
हिंद- भारती, तेरा कल्याण हुआ था !
बहुत ही सुन्दर प्रयास ..शुभ कामनाएं !!!