Tuesday, January 13, 2009

मत थम ....जरा आहिस्ता चल........

"कनिका, तुम्हें पता है दुनिया का सबसे शांत ज्वालामुखी कहाँ है ?" किचेन में सफाई करते हुए सुजाता ने अपनी सहेली से फ़ोन पर पूछा|
"अरे यार , इतनी रात को तुम्हें जी. के. सूझ रहा है ? चलो, तुम्हीं बता दो कहाँ है ?" कनिका ने बहुत ही अलसाए ढंग से कहा |
"हमारे दिल में पागल ! हा हा हा" हँसते हुए सुजाता ने कहा |
"वैरी फनी, हाँ ? अच्छा वाक पे चलोगी ? मुझे बहुत काम है और नींद आ रही है | थोड़ा घूम आयेंगे तो फ्रेश हो जायेंगे |"कनिका ने जम्हाई लेते हुए पूछा |
"आइडिया बुरा नहीं है | वैसे भी बच्चे सो गए हैं | और ये कंप्यूटर पर लगे हुए हैं | चल , दो जन चलेंगे तो दिल लगा रहेगा |" झटपट जैकेट पहन कर सुजाता घर से बाहर आ गई | पाँच मिनट में पड़ोस की कनिका भी हिलते डुलते आ गई |
"और काम कैसे चल रहा है मैडम? कैसा है तुम्हारा तन्मय ?" मुस्काते हुए कनिका बोली |
"अब मजाक मत करो यार , वैसे भी बस नौकरी ही है , कोई बहुत बड़ी बात नहीं है | और बाई द वे , वो 'मेरा' तन्मय नहीं है | बस एक पुराना दोस्त था और अब तो वो भी आई गई सी बात हो गई है | देखो तुम, जब तुम्हें कोई बचपन की सहेली मिलती है तो पहले कितनी खुशी होती है, है की नहीं? बताओ तुम .... पर फिर लगता है - बिग डील ! " मुंह बिचकाते हुए सुजाता ने कहा |
"काम ठीक है, दोस्त भी ठीक ही है तो फिर ये शांत ज्वालामुखी का फंडा क्या है ? अबे, कोई गड़बड़ तो नहीं ..." कनिका ने हाथ उठाते हुए थप्पड़ का इशारा किया |
"ओह नो ! क्या बात कर रही हो ? तुम भी न ... कुछ भी कहती हो ... मैंने तो यूँ ही कहा था | तुम्हें पता है कनिका दुनिया का सबसे बड़ा दुःख क्या है?.......................... किसी भी बात का काम्प्लेक्स होना ! अगर तुम्हें इस बात का बार बार एहसास कराया जाए की तुम किसी बात में किसी से कम हो, तो सोचो किसी का कांफिडेंस कितना हिल सकता है .... " सहसा ही जैसे सुजाता को कुछ याद आया |
"क्या हुआ यार , किसी ने कुछ कहा क्या? बता ना क्या हुआ "कनिका ने सुजाता को पकड़ कर कहा |
" रुक ना, बताती हूँ......ऑफिस में ना .... मेरे कुछ ही दिन पहले कशिश ने काम शुरू किया था| यार, तन्मय की डायरेक्ट रिपोर्ट है | आई आई टी और स्तान्फोर्ड की टोप्पर है | बहुत ही ज़्यादा स्मार्ट और बेलेंस्ड लड़की है | दुर्भाग्य वश मैंने भी उसी टाइम में ज्वाइन किया है | अब सब लोग मेरा काम उसी के साथ नापते हैं | आज मीटिंग में भी तन्मय एक घंटा उसी का गुन बखान किए जा रहा था | उससे ये सीखना चाहिए , उसका लॉजिक देखो , उसका ये, उसका वो... अरे मैं मैं हूँ , मुझे किसी के जैसे बनने की ना इच्छा है ना ज़रूरत | हाँ मैं उसके जैसी नहीं हूँ, पर वो भी मेरी जैसी नहीं है | और पता है , क्या हुआ ... " उदास से चेहरे में सुजाता बोली |
"क्या ?" कनिका सुन रही थी और सुजाता अपनी सारी भडास जैसे एक ही साथ निकाल रही थी |
"आज मुझे मेनेजर ने राउटर को कोंफिगर करने के लिए दिया था | मैंने कभी भी ये किया नहीं था | हमेशा कोडिंग की और अब तो वो भी नहीं दिया मुझे , अब तो टेस्टिंग में ही दिन बीत रहे हैं | वो मेनेजर भी ना इतना इदिअट है की पूछो मत | थोड़ा सा हेल्प भी नही किया उसने, बस लो और करो जी | अनिवे, मैं अपना ट्राई कर रही थी की वहां से तन्मय किसी कारणवश गुज़रा, मेरी मति मारी गई थी की मैंने उससे राउटर के बारे में पूछ लिया | बहुत बड़ी गलती की | आगे से उससे बात भी नहीं करनी चाहिए , नहीं करूंगी, आई प्रोमिस !" गुस्से से अब सुजाता मुट्ठी भींच रही थी |
"पर हुआ क्या , कुछ बताओगी या बस ऐसे ही एक्टिंग मारोगी " कनिका ने उत्सुकता वश कहा |
"उसने बताया और कुछ इस तरह, की मुझे जता दिया की मुझे कुछ नहीं आता .... और मुझे आज बहुत ख़राब लग रहा है .... कुछ इस तरह जैसे वाकई मैं... कनिका क्या मैं रियली स्टूपिड हूँ ? मैं आज सोच रही हूँ की क्यों मुझे मेरा मेनेजर कोई भी क्रिटिकल काम नहीं देता , बाकी सबको देता है , क्यों ?" सुजाता ने उम्मीद की की शायद कोई मरहम कनिका रख देगी ..

"हाँ , स्टूपिड तो तुम हो ..पर बहुत ही क्यूट स्टूपिड ... और क्यूटनेस से भी बढ़कर है तुम्हारा ड्राइव " खिलखिलाते हुए कनिका ने कहा | "अरे पागल, तुम्हारी टीम में लोग दस साल से काम कर रहे हैं तो क्रिटिकल काम तो उनको ही मिलेगा ना | तुम तो अभी सीख रही हो, अभी से कैसे कोई बड़ा काम तुम्हें सौंप देगा ? बस जो तुम्हें मिले उसे ध्यान से करो, सब अपने आप ठीक हो जाएगा| हाँ , तो तुम्हारा राउटर कॉन्फिगर हो गया आज?"
"नहीं , कहाँ हुआ , कुछ प्रॉब्लम हुआ फिर काम अधूरा रहा |मैंने ऐसे ही कह दिया की मेरा थोड़ा दिमाग कम है शायद , इसीलिए बात समझ नहीं आ रही ... तो पता है तन्मय क्या कहता है ...... कहता है ... वैसे भी गर्ल्स लोगों का दिमाग कम होता है .... हाउ मीन ना ? ....मैंने उससे कह दिया ......ऐसा .. नहीं है .....ज्यादातर गर्ल्स लोग बहुत स्मार्ट और इंटेलिजेंट होते हैं |" इससे ज़्यादा शायद और बुरा नहीं मिल सकता था सुनने में |
मैं ग़लत थी | इससे भी ज़्यादा सुनने को मिल सकता था |
"पता है फिर तन्मय क्या कहता है - हाँ गर्ल्स स्मार्ट होती हैं - कशिश जैसे |" सुजाता ने कनिका को देखा फिर ज़मीन की तरफ़ जैसे की कुछ गिर गया हो और ढूँढने की कोशिश कर रही हो |
"तुम्हें इतना बुरा क्यूं लगा | कशिश की तारीफ से या तन्मय ने की, इस बात से ?" कनिका सवाल पे सवाल कर रही थी |
"चलो छोडो भी, की फरक पैंदा है | बात किसने की ये नही है पर क्यों की | और वो भी किसी और को नीचा दिखाते हुए | तुम्हें लग रहा होगा की मैं जल रही हूँ | हाँ सच है | पर उससे ज़्यादा मुझे काम्प्लेक्स हो रहा है | पता है दुनिया में सबसे खतरनाक गिरना क्या होता है, जब हमारा कांफिडेंस गिर जाता है और मुझे यहाँ पर ऐसा ही लग रहा है | मुझे पता है मुझे बहुत सारी बातें नहीं पता हैं, पर मैं कोशिश कर रही हूँ | पर अगर हर मोड़ पर कोई टोक दे तो फिर तुम बताओ ...... | यहाँ पर हर बन्दा या तो दस पन्द्रह साल से काम कर रहा है या फिर किसी बड़ी नामी गिरामी कॉलेज का टोप्पर है | मानती हूँ मेरी हस्ती थोडी कम है पर मैं भी कोई कम नहीं हूँ | देख लेना, बस एक साल में मैं अपनी पहचान बना लूंगी फिर ये सब जो हैं ना , देखते रह जायेंगे | " सुजाता अपने ही भाव के ज्वार भाता से आश्चर्य चकित थी |
"ये हुई ना बात , क्या स्टाइल है, जियो मेरी जान ! ये एकदम इतना दम कहाँ से आया ?" कनिका ने कोहनी मारते हुए पूछा|
"पता नहीं , जब वाक पर निकले तो बहुत घुटन सी थी पर बात करते करते ऐसे लगा जैसे सब लावा बह गया और ज्वालामुखी जैसे सचमुच शांत हो गया हो | अच्छा हुआ हम आज घूमने आए | रोज़ आया करेंगे , ठीक?" बड़ी ही जोश में सुजाता ने कहा |
" कल की सोचेंगे कल को, अब जाओ और आराम से सो जाओ .....ना कशिश की चिंता करो और ना ही काम की | बस अपना हौसला बनाए रखो, किसी को उसे छूने मत दो , ओके?"

"थेंक्स यार , बस किसी से बात ही कर लो दिल खोल कर , तो कितना हल्का लगता है | तुम्हारा शुक्रिया कैसे करुँ? थेंक्स सो मच ! " सुजाता बहुत खुश लग रही थी |
" किसी ने मुझे यही बात समझाई थी | मैंने तुम्हें पास कर दिया | जब तुम्हें लगे की कोई ऐसा है जिसे तुम्हारी ज़रूरत है तो उसकी मदद करना, उससे बात करना , बस मुझे शुक्रिया कह दिया समझना , ठीक है?" कनिका ने सुजाता के गालों पर थपकी मारते हुए कहा |

"बिल्कुल, चलो गुड नाईट , फिर मिलेंगे ..." सुजाता कूदते हुए अपने घर वापस आ गई |

सुजाता अब अगले दिन का इंतजार कर रही थी |
वो कल ऑफिस में राउटर को सही तरीके के कॉन्फिगर करेगी , बिना किसी के मदद के |

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1 comment:

अनिल कान्त said...

सच ही कहा है दिल के अन्दर का ज्वालामुखी सबसे शांत होता है ....पर जब फटता है तो बहुत जोर से ......दिल की बातों को शब्दों में बहुत अच्छी तरह उतारा है आपने

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति